शुक्रवार, 7 अगस्त 2020

हाय धरा!


मानव तू क्या कर सका।
धारा को ना धर सका।।

               जब धरा ने मुंह मोड़ा।
                उसने तुझको कहीं का ना छोड़ा।।

कहां गई तेरी मुख की हंसी।
कहां गई तेरे सुख की घड़ी।।

               छा गई काली घटा।
              कैसे कटे यह दिन की छटा।।
गड़ गड़ाते बादलों की चमक।
टप टपाते बूंदों की दमक।।

               छा रही  हरयाली चारो तरफ।
               बिखेरे पंख झूमते ,मोर मोरनी के संग।।

इक्छा प्राप्ति के सपने पर।
बिखर रहे हैं घर परिवार।।
 
              कहां गई तेरी मुख की हंसी।
              कहां गई तेरी सुख की घड़ी।।
               

मंगलवार, 7 जुलाई 2020

मनुष्य जन्म लेने के बाद तुरंत ही क्यों नहीं चल पाता है?

हालांकि धरती पर हर प्रकार के जीव जंतु पाए जाते हैं वही अंसारी जीवो को अलग-अलग श्रेणी में रखा गया है 
जिसमें मानव स्तनधारी श्रेणी में आता है
स्तनधारी श्रेणी में आने वाले प्राणियों के नाम यह हैं-
हाथी
गाय
भैंस
घोड़ा
मनुष्य
बकरी, आदि।
यह प्राणी ऐसे होते हैं जो कि अपने शिशु को जन्म देते हैं
लेकिन देखने वाली बात यह है कि इनमें इन सभी स्तनधारी प्राणियों में सिर्फ मानव ही एक ऐसा प्राणी है जिसके बच्चे तुरंत जन्म लेने के बाद नहीं चल पाते इसके अलावा सारे स्तनधारी प्राणियों के बच्चे जन्म लेने के तुरंत 1 घंटे के अंदर में चलने लगते हैं जबकि मनुष्य के शिशु जन्म लेने के एक से डेढ़ साल के बाद चलना प्रारंभ करता है। तो चलिए आज इस विषय पर प्रकाश डालते हैं।
जैसा कि हम सब जानते हैं कि हम धरती के प्रारंभ से ही यहां पर विद्यमान नहीं है हमारी प्रजाति कई लंबे समय के बाद बंदरों की प्रजाति से विकसित  हुई है और हम कई लंबे समय के पश्चात ही चार पैरों से दो पैरों में चलना प्रारंभ किया हालांकि इसमें हमें अपनी मस्तिक को बहुत ही मजबूत करना पड़ा और विकसित होने  की प्रक्रिया में हमारी शरीर  में कई बदलाव हुए हैं (मादा के योनि में कई बदलाव हुए ये ग्रंथि छोटा हो गया) 
एक कारण तो यह है।
 दूसरा बड़ा कारण यह है कि:-
जब शिशु जन्म लेता है तब उसका मस्तिष्क छोटा होता है। और तो और उसके मस्तिष्क पूरी तरह से विकसित नहीं हो पाता है। अगर मनुष्य के शिशु के मस्तिक का पूरा विकास होकर अगर वह जन्म लेता है तो का सिर बड़ा हो जाएगा और कुछ शिशु को जन्म देने में मां असमर्थ हो जाएगी। यह सब अहम पहलू हैं जिसके कारण शिशु जन्म लेने के साथ ही चलना प्रारंभ नहीं कर देते।

रविवार, 24 मई 2020

रामगढ़ जिला , झारखंड

झारखंड के  24जिलो में एक जिला रामगढ़ है।

इस जिले की स्थापना हजारीबाग से कटकर हुई है, इसकी स्थापना सन् 12 सितंबर 2007 में हजारीबाग के कुछ भागों को अलग करके बनाई गई थी।
इस जिले की मुख्यालय रामगढ़ छावनी है।
रामगढ़ के इतिहास:-
ब्रिटिश काल में रामगढ़ जिले में जमीदारी प्रथा का बहुत प्रचलन था।
इस क्षेत्र में छोटा नागपुर के राजा एवं उनके राज्य का शासन था।
इस जिले के पूरे क्षेत्रों में प्राकृतिक धन धान्य की कमी नहीं है। इस क्षेत्र के गर्भ में कोयला एवं अन्य कई प्रकार के प्राकृतिक अभ्रक  विद्यमान है। और अभी तत्काल यह भारत राज्य अंदर है।
राजा बहादुर कामाक्षय नारायन सिंह इस स्थान के अंतिम शासक थे। सन 1945 को राजा ने अपने राज्य का पूरा कार्यभार भारत सरकार को सौंप कर अपने को कृतार्थ किया था। यह इस स्थान पर 1919 से 1947
तक यहां के प्रजा के राजा के रूप में नेतृत्व किए थे इस राज्य को ।

स्वतंत्रता के पश्चात:-
1947 के बाद जब यहां के शासक राजा बहादुर कामाक्षय नारायण सिंह ने इस स्थान को भारत सरकार  को सौंप दिया उसके पश्चात यह भाग हजारीबाग के क्षेत्रों में विलीन हो गए तथा 12 सितंबर 2007 को यह फिर से 1 जिले के रूप में उभरा।

विभागस्थल:-
यह जिला 6 विकास खंडों में विभाजित किया गया है:-
१. रामगढ़
२. गोला
३.मांडू
४. पतरातू
५. दुलमी
६. चितरपुर

पर्यटन स्थल:-
१. छिन्मस्तिका मंदिर रजरप्पा
२. माता वैष्णो देवी मंदिर
३. टूटी झरना मंदिर
४. पतरातू डैम 
पतरातूू लेक रिसोर्ट।
५. पंच वाहिनी मंदिर  लबगा ,पतरातू
६. चुटूपालु
७. बानखेता
८. बिरसा मुंडा प्राणी उद्यान
९. पोना पर्वत धाम
१०.केथा शिव मंदिर
११. पतरातु घाटी
१२.सिकिदिरी घाटी

रामगढ़ जिले की विस्तृत जानकारी:-
क्षेत्रफल: 1211 वर्गकि.मी
जनसंख्या (2011): 9,49,159
 उपविभाग: मंडल
उपविभागों की संख्या:6
मुख्य भाषा: हिन्दी व खोरठा।


गुरुवार, 21 मई 2020

झारखंड राज्य

भारत के राज्यों में एक ऐसी राज्य जहां पर हर तरह से मनोरम  दृश्य देखने को मिलते हैं। आज मैं भारत के झारखंड प्रांत के बारे में बात करने जा रहा हूं।  इस राज्य का गठन 15 नवंबर 2000 में की गई थी। इस राज्य की सीमाएं बिहार ,छत्तीसगढ़,पश्चिम बंगाल ,उड़ीसा तथा उत्तर प्रदेश के सीमाओं से सटी हुई है।
इस राज्य को छोटा नागपुर की उपाधि मिली है। इस राज्य के हर एक जिले में हरियाली एवं खुशियां छाई हुई है। इस राज्य का सृजन बिहार के दक्षिणी भाग से कटकर हुआ है। इस राज्य की राजधानी रांची है। और उप राजधानी दुमका
इस राज्य के प्रमुख शहरों के नाम जमशेदपुर, बोकारो ,धनबाद ,रामगढ़ आदि हैं।
इस राज्य में कुल 24 जिले हैं।
प्राचीन काल:-
इस राज्य के प्राचीन अंश हजारीबाग जिले मे 5000 पुराना गुफा चित्र मिला है। इस राज्य में प्राचीन लोहे के औजार एवं मिट्टी के बर्तन प्राप्त हुए हैं।325 ईसा पूर्व पहलेे यह मौर्य वंश कााा उन्नत राज्य था।
यहां फनी मुकुट राज्य ने छोटा नागपुर प्रांत मेंनागवंशी की स्थापना की थी।

वर्तमान काल:-
आजादी के पश्चात इस राज्य में उन्नति काफी कम हुई लेकिन शिक्षा दर में यह राज दूसरे राज्यों के मुकाबले कदम से कदम मिलाकर चल रहा है। वर्तमान काल में इस राज्य की कुल 24 जिले हैं।
१. रांची
२. लोहरदगा
३. गुमला
४. सिमडेगा
५. पलामू
६. लातेहार
७. गढ़वा
८. पश्चिमी सिंहभूम
९. सरायकेला
१०. पूर्वी सिंहभूम
११. दुमका
१२. जतारा
१३. साहिबगंज
१४. पाकुर
१५. गोड्डा
१६. हजारीबाग
१७. चतरा
१८. कोडरमा
१९. गिरिडीह
२०. धनबाद
२१. बोकारो
२२. देवघर
२३. कुंती
२४. रामगढ़
इस राज्य की स्थापना 15 नवंबर 2000 को 28 वे राज्य के रूप में की गई।
भौगोलिक स्थिति:-
इस प्रांत का ज्यादातर हिस्सा छोटा नागपुर पठार का है।
कोयल ,दामोदर ,स्वर्णरेखा, खड़कई , ब्रह्माणी नदियों का उद्गम स्थल है। इस राज्य के ज्यादातर हिस्से वन एवं वन्य प्राणियों से घिरी हुई है।
यह प्रांत  ज्यादातर चट्टान एवं पत्थरों से बनी हुई है। उनके विभाजन कुछ इस प्रकार किए गए हैं:-
१. लाल मिट्टी-
ज्यादातर दामोदर एवं राजमहल के क्षेत्रों में पाई जाती है।
२. मायका युक्त मिट्टी:-
यह मिट्टी ज्यादातर कोडरमा ,झुमरी तलैया ,बड़कागांव एवं मंदार पर्वत के आसपास के क्षेत्रों में पाई जाती है।
३. बुलाई मिट्टी:-
यह मिट्टी ज्यादातर हजारीबाग और धनबाद के क्षेत्रों में पाई जाती है।
४. काली मिट्टी:-
यह मिट्टी ज्यादातर राजमहल क्षेत्रों में पाई जाती है।
५.लैटेराइट मिट्टी:-
यह मिट्टी रांची के पश्चिमी हिस्से, पलामू ,संथालपरगना के हिस्सों में पाई जाती है।
वनस्पति एवं जैविक:-
यह राज्य वनस्पति एवं जैविक विविधताओं से परिपूर्ण है। यहां प्रमुखता वन्यजीवों का आवास निवास है जिनमें बाघ, हाथी ,भैंस आदि विभिन्न वन्य जीव उपस्थित है।

जनसंख्या अनुपात
झारखंड की आबादी भारत की कुल आबादी का 2% है यहां की आबादी लगभग 32.98 मिलियन है।
प्रति वर्ग किलोमीटर की जनसंख्या 414 के लगभग है।

झारखंड के विभिन्न क्षेत्रों में विभिन्न भाषाएं संस्कृति बोली और मानी जाती है। यहां की प्रमुख भाषाएं खोरठा ,नागपुरी, हिंदी, उर्दू, संथाली, मुंडारी आदि भाषाएं बोली जाती है। झारखंड में कई जाति एवं जनजातियां हैं। यहां की साक्षरताा डर 65%है।

उद्योग:-
भारत के कुछ महत्वपूर्ण औद्योगिक स्थान झारखंड में भी स्थित है उनके नाम बोकारो, धनबाद, रांची और जमशेदपुर है।

१. भारत का पहला एवं विश्व का पांचवा सबसे बड़ा इस्पात कारखाना टाटा स्टील झारखंड के जमशेदपुर  में स्थित है।

२. एक और बड़ा इस्पात बोकारो जिले में भी स्थित है
३. भारत का सबसे बड़ा आयुध (weapon)कारखाना बोकारो जिले के गोमिया में स्थित है


४. मिथेन गैस का पहला प्लांट

पर्यटक स्थल:-
१.पतरातू डेम,
२.पलामू किला
३. देवघर वेदनाथ मंदिर
४.बासुकीनाथ
५. लोध जलप्रपात
६. हुंडरू जलप्रपात
७ बेतला राष्ट्रीय उद्यान
८ छिनमस्तिके मंदिर
९ मैथन डैम
१० हजारीबाग रेलवे स्टेशन
११ दशम जलप्रपात
आदि कई और पर्यटन स्थल हैं।

बाजार का बाजारूपन

एक बार की बात बताता है,मेरे मित्र बाजार गए थे वहां से उन्हें छोटी सी समान लेनी थी एक मामूली समान जिसे लेने पर उनके एक थेले ही भरते लेकिन जब वह लौटे तब उनके साथ थेलों की भंडार थी वे कई सामानों के साथ बाजार से लौटे। मेरे पूछने पर उन्होंने बताया कि यह तो मामूली चीज है ,यह तो महिमा है जिसे मैं लेकर गया था। उनकी कहने का तात्पर्य यह था कि उन्होंने अपने साथ अपनी पत्नी को लेकर गया था और यही उनकी महिमा थी ‌।उनके साथ जाने की वजह से ही इतने सामानों की ता ता लग गई।
 आज के इस काल में और आदिकाल से इस विषय में पति से पत्नी की ही प्रमुखता प्रमाणित की गई है यह एक व्यक्तित्व का बात नहीं है ,बल्कि यह स्त्रियों का प्रश्न है।
एक और ऐसी महिमा है जिस महिमा के कारण आदमी को अपने अंदर गौरव महसूस होता है वह महिमा पैसों की महिमा है गरिमा है। यूं कहूं तो आज पैसे पैसे एक एनर्जी के समान है जो आदमी को हमेशा उत्साहित प्रोत्साहित करते रहता है। 
मैंने अपने मन में कहा ठीक है मैं भी एक बार अपने को उस चकाचौंध की ओर लेकर चलता हूं और उस चकाचौंध को हराकर दिखाता हूं। धीरे से बगल से आवाज आई सुनते हो ! यह सामान ले लो मात्र 5000 के है एक बार तो लेकर देखो साल और साल टिकेगी।
मैंने कहा मुझे तो जरूरत नहीं है इस चीज की!
उसने कहा देखने में क्या हर्ज है देख लो लेना हो तो लेना नहीं तो चला जाना
मैंने उस वस्तु को देखा परखा समझा उसके बाद मेरे मन में कहीं एक लालसा जगने लगी कि उस वस्तु की जरूरत शायद मेरे घर में मेरे पास है लेकिन वह एक विलासिता थी मेरे मन का भ्रम था मैंने अपने आप को थोड़ा समझाया और उसे नजरअंदाज करते हुए आगे बढ़ गया।
आगेे बढ़ा और वस्तुओं को देखा काफी स्टोर का अनुमोदन करते मैंनेे देखा कि कई लोग कई वस्तुओं  को बिना मतलब खरीद रहा है ऐसे वस्तुओंं को लेेेे रहे हैं जैसेे कि वह वस्तु बाद  में बाजार में आएंगे नहीं।
रात के समय वापस लौटते समय मैंने देखा कि कई लोग अपने साथ कई तरह के वास्तु ले जा रहे हैं। लेकिन ऐसे भी लोग थे जो अपने साथ कुछ नहीं ले जा रहे थे। वहा नंगे पांव अपने घर की ओर जा रहे थे।उनके हाथों में न तो थेले थे ना समान ।
इस बात से मुझे यह आभास हुआ कि लोगों के पास जब धन रहता है तभी  उनकी जरूरतें बढ़ते जाती हैजिनके पास खाने के लिए दो वक्त की रोटी नहीं रहती वह उन सामानों को लेकर भी क्या करेंगे ।
इस बात को मैंने रात में अपने घर आकर विचार किया तो मैं इस नतीजे तक पहुंचा कि वैसे ही लोगों की जरूरत है बढ़ती जाती है जिनके पास पैसों के भंडार हैं।